Sunday 7 April 2019

UPSC: सिविल सर्विसेज परीक्षा में हिंदी मीडियम वाले बेहाल


संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है। देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में शुमार की जाने वाली संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा में हिंदी और इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट के बीच पास होने वाले उम्मीदवारों में एक बड़ा अंतर सामने आया है. हाल ही में हुई परीक्षाओं से ये आंकड़े सामने आए हैं कि परीक्षा में हिंदी मीडियम से पास होने वाले छात्रों की तादाद में भारी गिरावट आई है.सिविल सेवा में चयनित होने वाले हिंदी मीडियम उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट दर्ज होने का सिलसिला 2011 के बाद शुरू हुआ. इसी साल सरकार ने सीसैट (CSAT) लाने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद 2013 में सिविल सर्विस मेन परीक्षा में भी बदलाव किया गया था.मसूरी के लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA)  की बेबसाइट के मुताबिक, 2013 में हिंदी मीडियम में सिविल की परीक्षा पास करने वाले स्टूडेंट्स 17 परसेंट थे. ये आंकड़ा 2014 में 2.11 परसेंट रहा. 2015 में 4.28 परसेंट था, वहीं 2016 में 3.45 परसेंट और 2017 में 4.06 परसेंट. वहीं 2018 में हिंदी मीडियम में सिलेक्ट होने वाले उम्मीदवारों का परसेंट घटकर 2.16 रह गया.

सिविल सर्विसेज परीक्षा में कहां मार खा जाते हैं हिंदी मीडियम वाले?

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा का रिजल्‍ट इस बार भी हिंदी मीडियम वालों के लिए निराशाजनक रहा. हैरानी की बात ये है कि इस बार मेरिट लिस्‍ट में हिंदी माध्‍यम से सबसे ज्‍यादा स्‍कोर करने वाले की रैंकिंग *339* है. ये रैकिंग पिछले कई साल की तुलना में सबसे खराब है.इनके पिछड़ने के कारणों पर चर्चा से पहले कुछ आड़ों पर गौर करते हैं.

*2013*
यूपीएससी ने सिलेबस बदला. इस साल यूपीएससी में हिंदी मीडियम से करीब 25 ही कैंडिडेट चुने गए थे. इनमें से सिर्फ 1 ही आईएएस बन सका. हिंदी मीडियम से सबसे ज्‍यादा स्‍कोर करने वाले की रैंक थी 107.

*2014*
इस साल हिंदी मीडियम से सबसे ज्‍यादा स्‍कोर करने वाले की रैंक थी 13. कुछ सफल छात्रों के बीच हिंदी मीडियम वालों की तादाद 5 फीसदी से कम थी.

*2015*
इस साल हिंदी मीडियम से सबसे ऊंची रैंक रही 61, इसके बाद 99. मतलब टॉप 100 में हिंदी मीडियम से सिर्फ 2 कैंडिडेट.

*2016*
इस साल टॉप 50 में हिंदी माध्‍यम से 3 कैंडिडेट मेरिट लिस्‍ट में जगह बनाने में कामयाब रहे.

*2017*
हिंदी माध्‍यम से सबसे ज्‍यादा स्‍कोर करने वाले की रैंकिंग 146. कुल चयन 50 से कम.



CSAT के सवालों का गूगल ट्रांसलेटर से हिंदी अनुवाद-ऐसे अनुवाद ज्‍यादातर गूगल ट्रांसलेटर जैसे टूल से मशीनी तरीके से किए जाते हैं. ऐसे सवाल भले ही हिंदी में हों, लेकिन इनका मतलब निकालना किसी मेधावी छात्र के लिए भी टेढ़ी खीर होता है.जाहिर तौर पर, जब सवाल ही साफ नहीं होगा, तो जवाब किस तरह लिखा जा सकेगा.

मुख्‍य परीक्षा की कॉपियां जांचने के लिए पैनल में जिन लोगों को शामिल किया जाता है, प्राय: उनकी भाषा अंग्रेजी होती है. ऐसे लोग हिंदी में उतने ही सहज हों, ये कोई जरूरी नहीं है. इससे अंक में बड़ा फर्क आ जाता है.’
एक तथ्‍य यह भी है कि इंटरव्‍यू बोर्ड के कई सदस्‍यों की भाषा हिंदी नहीं होती. ऐसे में कैंडिडेट की बात समझने के लिए बोर्ड के सदस्‍य दुभाष‍िए का सहारा लेते हैं. अगर दुभाष‍िए ने बातों के मतलब में कोई गलती कर दी, तो बड़ा फर्क पैदा हो जाता है.

"हिंदी मीडियम के कैंडिडेट को स्‍तरीय अध्‍ययन सामग्री की कमी से जूझना पड़ता है. *हिंदी में जो किताब और नोट्स उपलब्‍ध हैं, वे प्राय: यूपीएससी के सिलेबस की डिमांड पूरी नहीं करते हैं.’’

लिखने की स्‍पीड और अभ्‍यास से जुड़ी समस्‍या- ये मानी हुई बात है कि लिपि की वजह से अंग्रेजी की तुलना में हिंदी में लिखने में ज्‍यादा वक्‍त लगता है.अंग्रेजी में अगर 1 मिनट में 25 शब्‍द लिखे जा सकते हैं, तो हिंदी में इतने ही शब्‍द लिखने के लिए करीब 1 मिनट 30 सेकेंड चाहिए.